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Sunday, October 13, 2013

चिठ्ठाकार वार्ता - 1 : लिखने से पढ़ने में रुचि बढ़ी है, घटनाओं को देखने का दृष्टिकोण वृहद हुआ है - प्रवीण पाण्डेय

"चिठ्ठाकार वार्ता" में पहली वार्ता हुई है, आदरणीय श्री प्रवीण पाण्डेय जी से।


आपका ब्लॉग्गिंग में आना कैसे हुआ और आपने ब्लॉग्गिंग की शुरुआत कब और क्यों की ? 

जब पहली बार पता चला कि रेलवे के ज्ञानदत्तजी ब्लॉग लिखते हैं, मानसिक हलचल के नाम से, तो पढ़ने की उत्सुकता हुयी। पढ़ने के बाद टिप्पणी करने की उत्सुकता हुयी, टिप्पणियाँ पहले छोटी होती थी, धीरे धीरे उनका आकार बढ़ता गया। यह देखकर ज्ञानदत्तजी ने न केवल ब्लॉग लिखने को प्रेरित किया वरन अतिथि ब्लॉगर के रूप में अपने ब्लॉग पर स्थान भी दिया। सही नहीं, कुछ दिनों के बाद अपना नया ब्लॉग प्रारम्भ करने के लिये उकसाया भी। अब तो लिखते लिखते चार वर्ष हो गये हैं।

आपके मनपसंद विषय कौन से है, जिस पर आप अक्सर लिखते हो ?

कोई नया अनुभव जिसमें कुछ विशिष्ट हो, ज्ञान की कोई नयी छिटकन, शिक्षा, तकनीक, सरलता और संस्कृति के सशक्त पक्ष।
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आप अपने ब्लॉग का प्रचार - प्रसार कैसे करते हैं ?

ब्लॉग का लेखन स्वयं में ही प्रचार का सशक्त माध्यम है। इसके अतिरिक्त फ़ेसबुक में अपना लिंक डाल देते हैं।

आप अपने ब्लॉग पाठकों से संवाद कैसे करते है ? क्या आप अपने पाठकों के कमेंट्स का जवाब देते हैं ?

प्रारम्भ में लगभग हर टिप्पणी का उत्तर देता था, समयाभाव के कारण अब वह कम हो गया है। फिर भी चर्चा योग्य टिप्पणियों के उत्तर देता हूँ।

आपके लिए ब्लॉग्गिंग का सार्थक पहलू क्या है जिससे आपको ख़ुशी मिलती हो ?

लिखने से पढ़ने में रुचि बढ़ी है, घटनाओं को देखने का दृष्टिकोण वृहद हुआ है।

ब्लॉग्गिंग से सम्बंधित कोई यादगार पल ?

प्रत्येक ब्लॉगर से हुयी आभासी और प्रत्यक्ष भेंट के लिये ब्लॉगिंग का आभारी रहूँगा।

आपके अनुसार अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर हिंदी ब्लॉग्गिंग का क्या योगदान है ?

यद्यपि अंग्रेज़ी की तुलना में हिन्दी ब्लॉग की संख्या कम है, किन्तु उसका कारण उत्साह या प्रतिभा की कमी नहीं। कम्प्यूटर का ज्ञान और इण्टरनेट की पहुँच जैसे ही बढ़ेगी, हिन्दी ब्लॉगिंग अपने शिखर पर होगी।

आपको हिंदी ब्लॉग्गिंग में क्या कमी लगती है या हिंदी ब्लॉग्गिंग में किस चीज़ की कमी है ?

जब प्रवाह बढ़ता है तो उसे समेटने के लिये तटबंधों की आवश्यकता होती है। सांस्थानिक समर्थन की सर्वाधिक आवश्यकता है। वर्तमान ब्लॉगरों का मान, नवागंतुकों का उत्साहवर्धन और समुचित मार्गदर्शन तात्कालिक आवश्यकतायें हैं।

आपके अनुसार हिंदी ब्लॉग्गिंग का भविष्य कैसा है ?

आने वाले दशकों में लोग आश्चर्य करेंगे कि ब्लॉगिंग ने हिन्दी साहित्य के साथ लाखों लेखकों को कैसे जोड़ दिया?

आपके मनपसंद हिंदी ब्लॉगस कौन - से है ?

बहुत हैं, अच्छा और मन से लिखा एक भी वाक्य प्रभावित कर जाता है। ४०० से अधिक ब्लॉग पढ़ता हूँ, आकलन के निर्णय क्षमता अभी विकसित होना शेष है।

आप नए ब्लागरों से कुछ कहना चाहेंगें, जो ब्लॉग्गिंग में नए हैं?

प्रकृति समय और प्रयास माँगती है, प्रतिभा उभारने के लिये। लेखन में आनन्द ढूँढें, पाठक स्वतः आनन्दित हो जायेंगे।

पसंद - नापसंद 

सादा और गुणवत्ता भरा जीवन भाता है। सच्चे और सरल लोग मन जीत लेते हैं।



फेसबुक पन्ना :- Praveen Pandey

गूगल प्लस :- प्रवीण पाण्डेय


13 comments:

  1. बहुत सुंदर प्रस्तुति .
    नई पोस्ट : रावण जलता नहीं
    नई पोस्ट : प्रिय प्रवासी बिसरा गया
    विजयादशमी की शुभकामनाएँ .

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  2. पाण्डेय जी को पढ़ना हमेशा ही सुखद रहता है ... बढ़िया इंटरव्यू रहा ... आभार हर्ष !

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  3. इंटरव्यू मस्त रहा ... प्रवीण जी की रोचल शैली भई लिखने की ... अच्छा लगा उनके विचार जान कर ...

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  4. विजयादशमी की हार्दिक शुभकामनाएँ।
    --
    साक्षात्कार अच्छा रहा।

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  5. बहुत आभार आपका, विचारों को स्थान देने के लिये।

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  6. प्रशंसनीय प्रस्तुति.

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  7. सीधी सच्ची बात की है प्रवीण पांडे जी ने इसके लेखन में अन्वेषण की खुश्बू है। ललक है हमारे राजनीति के धंधे बाज़ अच्छा करें। सौदेश्य है इनका सारा लेखन चमत्कार पैदा करने के लिए नहीं है।

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  8. बढ़िया रहा साक्षात्कार
    नई पोस्ट मैं
    at

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  9. आदरणीय पांडे जी का साक्षात्कार बहुत अच्छा लगा ! उनके लेखन में निहित मानवीय संवेदनशीलता सदैव प्रभावित करती है ! पांडे जी को अनेक शुभकामनायें !

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